जैसे सबसे छुपा छुपा शराब रखते हैं ॥
दर्दो ग़म दिल में हम यों बेहिसाब रखते हैं ॥
क्योंकि रोने का हो नतीजा सिफ़र हम हँसती ,
दोनों आँखों में समंदर को
दाब रखते हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
सुन्दर प्रस्तुति ...
mat kaho dard kahan nahi hai.....mat sunao nagma vafa ka dil sunna nahi chahta hai...........sunder
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