Sunday, February 24, 2013

मुक्तक : 73 - आँखों को जो


आँखों को सुकूँ दे जो वही दीद , दीद है ।।
चंदन का बुरादा भी दिखे वर्ना लीद है ।।
जिस ईद मिले ग़म है वो त्योहार मोहर्रम ,
जिस क़त्ल की रात आए ख़ुशी अपनी ईद है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति  

2 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर..

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Kailash Sharma जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...