Monday, February 18, 2013

मुक्तक : 59 - तेरे तेवर से


तेरे तेवर से बग़ावत की तेज़ बू आए ॥ 
मंद साँसों से भी नाराज़गी की लू आए ॥ 
कैसे मुमकिन है और साथ-साथ अपना सफ़र ,
ना चले साथ न आगे न पीछे तू आए ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...