Friday, February 8, 2013

मुक्तक : 26 - मेरी सूरत पे





मेरी सूरत पे ही जाकर न तुम अटक जाना ॥ 
मेरी सीरत मेरी फ़ितरत भी ग़ौर फ़रमाना ॥ 
इश्क़ के वास्ते इक नौजवाँ में जो लाजिम ,
ग़र न मुझमें हों तो बेशक़ न करना ठुकराना ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...