Saturday, February 9, 2013

मुक्तक : 29 - सारी दुनिया में



सारी दुनिया में अमन चैन कैसे क़ायम हो ॥
घर किसी के न कभी भूले कोई मातम हो ॥
सोचता हूँ कि क्या उपाय करूँ मैं जिससे ,
सारे चेहरे खिलें ओ बाग़ बाग़ आलम हो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...