Monday, February 11, 2013

मुक्तक : 41 - ग़रीबी में करारी


 गरीबी में करारी नोट-गड्डी याद आती है ॥ 
लगी हो भूख तो कुत्ते को हड्डी याद आती है ॥ 
बुढ़ापे में मुझे बचपन कुछ ऐसे याद आता है ,
कि जैसे भीड़ में नंगे को चड्डी याद आती है ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...