उसने जब माँगा मकाँ मैंने उसे इक घर दिया ॥
उसको कब तक्लीफ़ दी ख़ुद उसके घर जाकर दिया
॥
एक दिन मुझको ज़रूरत पड़ गई थी टाँग की ,
उसने भी लाकर मुझे इक ख़ूबसूरत पर दिया
॥
-डॉ.
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