Sunday, February 10, 2013

मुक्तक : 38 - जब सच्चाई कहने


जब सच्चाई कहने हम मज्बूर हुए थे ॥ 
सच बदनामी की हद तक मशहूर हुए थे ॥ 
कहने को ही सही मगर थे शह्र के जितने ,
मेरे सारे दोस्त क़रीबी दूर हुए थे ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...