Saturday, February 23, 2013

मुक्तक : 67 - सामान यक़ीनन


सामान यक़ीनन कुछ कम दाम का निकलेगा ॥
लेकिन कबाड़ में भी कुछ काम का निकलेगा ॥
तलवार शिवाजी की, टीपू की न मिले पर ,
चाकू, छुरी, सुई, पिन हर आम का निकलेगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

उमेश चन्द्र सिरसवारी said...

जबाब नहीँ आपका...पंक्तियां अत्यंत सुन्दर हैँ

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Umesh Chandra जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...