Saturday, February 23, 2013

मुक्तक : 70 - अब जब दाँत



अब जब दाँत रहे न बाक़ी पान सुपाड़ी लाये हो ॥
पीने वाला उठ बैठा जब दारू ताड़ी लाये हो ॥
करवाया तब ख़ूब सफ़र पैदल जब छाले पाँव में थे ,
अब क्या मतलब मंज़िल पर तुम मोटर गाड़ी लाये हो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...