Thursday, February 14, 2013

मुक्तक : 52 - हर पल हर इक



हर पल हर इक जानिब तुमको ढूँँढती निगाहें ॥ 
मेरा इक इक कदम तुम्हारी नापता है राहें ॥ 
कब मेरे तर-बतर इश्क़ में हो सीने लगने ,
फैलाए आओगी तुम अपनी गोरी बाहें ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...