मैं तमन्नाई हूँ कि मुझको लोरियाँ मिलतीं ।।
नींद आए न नींद वाली गोलियाँ मिलतीं ।।1।।
जिसको देखो वो तुर्श होके बात करता है ,
क्यों नहीं कोयलों सी सबमें बोलियाँ मिलतीं ।।2।।
सिर्फ़ चाहत है लाल-लाल बेरियों की पर ,
मुझको कच्ची हरी-हरी निबोलियाँ मिलतीं ।।3।।
लोग पिल्लों को पालते बड़ी मोहब्बत से ,
काश लवारिसों को ऐसी गोदियाँ मिलतीं ।।4।।
इश्क़ करने को तो मिलें ज़रा सी कोशिश में ,
ब्याह बेकार से न करने गोरियाँ मिलतीं ।।5।।
मुफ़्लिसों को चबाने बासी रोटियाँ मुश्किल ,
पाले कुत्तों को ताज़ा गोश्त-बोटियाँ मिलतीं ।।6।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
नींद आए न नींद वाली गोलियाँ मिलतीं ।।1।।
जिसको देखो वो तुर्श होके बात करता है ,
क्यों नहीं कोयलों सी सबमें बोलियाँ मिलतीं ।।2।।
सिर्फ़ चाहत है लाल-लाल बेरियों की पर ,
मुझको कच्ची हरी-हरी निबोलियाँ मिलतीं ।।3।।
लोग पिल्लों को पालते बड़ी मोहब्बत से ,
काश लवारिसों को ऐसी गोदियाँ मिलतीं ।।4।।
इश्क़ करने को तो मिलें ज़रा सी कोशिश में ,
ब्याह बेकार से न करने गोरियाँ मिलतीं ।।5।।
मुफ़्लिसों को चबाने बासी रोटियाँ मुश्किल ,
पाले कुत्तों को ताज़ा गोश्त-बोटियाँ मिलतीं ।।6।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
6 comments:
लोग पिल्लों को पालते हैं मोहब्बत से बड़ी ,
क़ाश लवारिसों को ऐसी गोदियाँ मिलतीं ॥ ...
क्या बात है ...
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सुन्दर
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धन्यवाद ! Shiv Raj Sharma जी !
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