फ़क़ीरी में जो ख़ुश मत उसको
धन-दौलत अता करना ॥
मोहब्बत के तलबगारों को
मत नफ़्रत करना ॥
ख़ुदा क्या किसको लाज़िम
है बख़ूबी जानता है तू ,
लिहाज़ा माँगने की मत मुझे
नौबत अता करना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
बहोत अच्छे हे आपके लिखे मुक्तक व ग़ज़ल हीरालाल जी पढ़ रहा हूँ ओर गौरान्वित हो रहा हूँ,
कम शब्दों में जो आप केहते हे एक अलग बात हे आपकी लेखनी में,,,,,,,
बहुत बहुत धन्यवाद mukeshjoshi जी !
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