Friday, February 8, 2013

मुक्तक : 27 - कितना कितना गिरा


कितना -कितना गिरा पड़ा 
इक ज़रा -ज़रा सा उठने को ॥ 
बनने के इस फेर में तत्पर 
रहा सदा मैं मिटने को ॥ 
निःसन्देह सफलताओं का भी
 आलिंगन ख़ूब  किया ,
किन्तु  अभी तक मिला न मुझको 
सुख से तनिक लिपटने को ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...