Sunday, February 17, 2013

मुक्तक : 56 - बहुत गुमनाम से



बहुत गुमनाम से बदनाम से मशहूर होता हूँ ।।
बड़ी आहिस्तगी से ख़ाली मैं भरपूर होता हूँ ।।
लगें अच्छी मुझे तनहाइयाँ और तीरगी लेकिन ,
किसी के वास्ते अब अंजुमन का नूर होता हूँ ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...