जिसको बूँँद अनावश्यक उसको सुरसरिता लिखता है ।।
गद्य नहीं जाने जो उसको भी तब कविता लिखता है ।।
भाग्यविधाता जब अपनी धुन में संपूर्ण अवस्थित हो ,
ब्रह्मचर्य व्रतधारी को पग-पग पर वनिता लिखता है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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