Sunday, February 24, 2013

मुक्तक : 74 - जहां रोना फफक


जहाँ रोना फफक कर हो वहाँ दो अश्क़ टपकाऊँ ॥
ठहाका मारने के बदले बस डेढ़ इंच मुस्काऊँ ॥ 
दिमागो दिल पे तारी है किफ़ायत का जुनून इतना ,
जो कम सुनते हैं उनसे भी मैं धीमे-धीमे बतियाऊँ ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर ....

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...