भले ही वन-विभाग की /
विधिवत मंजूरी लेकर /
तात्कालिक अथवा दूरगामी /
सुनिश्चित लाभ के मद्देनजर ,
सुनियोजित अकाट्य तर्कों की छाया
में /
सरेआम बेरहमी से _
आरों अथवा कुल्हाड़ों से /
कांक्रीट जंगल के नवनिर्माण में
/
बाधा बन रहे /
एक वर्षों पुराने -
हरे-भरे बेशकीमती इमारती वृक्ष
की ;
आकाश में उड़ती हुई चिड़िया के /
किसी शिकारी की गोली खाकर /
धरती पर फड़फड़ाते हुए गिरने के
समान नहीं _
बल्कि _
किसी बच्चे द्वारा /
आकाश में फ़ेंके गए /
एक निर्जीव पत्थर के समान ,
मुझे उस मरते हुए जीवित पेड़ का
चुपचाप पटाक से गिर जाना _
रुलाता नहीं ,
बल्कि भर देता है उसके प्रति क्रोध
से ,
जब
पकाकर खाये जाने के लिए /
एक अदना सी मुर्गी भी /
काटे जाते वक्त /
अपने को मारे जाने का /
फड़फड़ाकर _
पुरजोर विरोध करती है ,
अथवा चीखकर अपनी पीड़ा प्रकट करती
है /
फलस्वरूप _
कभी कभार _
छूटकर भाग भी जाती है /
अथवा बिरले ही सही _
वधिक उसको दयार्द्र होकर बख़्श
देता है ;
फिर इतना विशाल पेड़ क्यों नहीं
चीत्कार करता /
बचाओ बचाओ चिल्लाता /
और कुछ नहीं तो काटने वालों पर
ही गिर जाता ?
क्यों चुप रहता है ?
क्यों चुपचाप सहता है ?
क्या यही उसके पतन का एकमेव कारण
है ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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