Thursday, February 7, 2013

मुक्तक : 24 - डाकिये मिट गए



डाकिये मिट गए बेकार सब हमाम हुए ॥
जब से आए हैं सेल-फ़ोन ख़त तमाम हुए ॥
पहले दिलबर से मिलके भी न बतिया पाते थे ,
आज तो नेट पे ही चेट से सब काम हुए ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...