Sunday, February 10, 2013

मुक्तक : 37 - धोबी से दूर गदहा


धोबी से दूर गदहा , मटका कुम्हार से ॥
भंगी से दूर झाड़ू , चमड़ा चमार से ॥
आती हो शर्म करते पुश्तैनी काम जब ,
बैठें न किसलिए फिर कुछ रोजगार से ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...