Sunday, February 10, 2013

मुक्तक : 39 - लेकर तमाम दर्द





लेकर तमाम दर्द दिल में चल मगर न रो ॥ 
चुप चाप बग़ैर आह -  - कराह बोझ ढो ॥ 
इक रोज़ तुझको ज़ाइद-अज़-उम्मीद मिलेगा ,
इतनी ही शर्त है कि ख़ुद को यास में न खो ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...