Thursday, May 16, 2019

मुक्त मुक्तक : 899 - ग़ुस्सा


मेरे ग़ुस्से को फूँक - फूँक मत हवा दे तू ।।
मैं भड़क जाऊँ उससे पहले ही बुझा दे तू ।।
मैं बरस उट्ठा तो बहा के दुनिया रख दूँगा ,
अब्र को देख मेरे आस्माँ बना दे तू ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

Wednesday, May 8, 2019

मुक्त मुक्तक : 898 - ज़ुर्म


ज़ुर्म वो साज़िशन रोज़ करते रहे ।।
दूसरे उसका ज़ुर्माना भरते रहे ।।
ज़ख़्म तो फूल ही दे रहे थे मगर ,
सारा इल्ज़ाम काँटों पे धरते रहे ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

Monday, May 6, 2019

मुक्त मुक्तक : 897 - मैं कहाँ हूँ ?


दिख रहा सबको वहीं बैठा जहाँ हूँ ।।
हूँ वहीं पर वाँ मगर सचमुच कहाँ हूँ ?
दिल मेरा आवारगी करता जिधर है ,
दरहक़ीक़त मैं यहाँ कब ? मैं वहाँ हूँ ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...