Thursday, May 16, 2019

मुक्त मुक्तक : 899 - ग़ुस्सा


मेरे ग़ुस्से को फूँक - फूँक मत हवा दे तू ।।
मैं भड़क जाऊँ उससे पहले ही बुझा दे तू ।।
मैं बरस उट्ठा तो बहा के दुनिया रख दूँगा ,
अब्र को देख मेरे आस्माँ बना दे तू ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

1 comment:

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । शास्त्री जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...