परेशाँ करने वालों को न ख़िदमतगार कहिएगा ।।
बिठा पहरे पे चोरों को न चौकीदार कहिएगा ।।
वतन के वास्ते जो जाँ हथेली पर लिए घूमें ,
न हों फ़ौजी भी तो उनको सिपहसालार कहिएगा ।।
न चिनवाओ उन्हें ज़िंदा ही तुम दीवार में लेकिन ,
मसूदों को सरेआम एक सुर ग़द्दार कहिएगा ।।
जो बनकर बैल कोल्हू के लगे रहते हैं मेहनत में ,
कमाई की नज़र से मत उन्हें बेकार कहिएगा ।।
कभी भूले भी जो हटता नहीं उसके हसीं रुख़ से ,
उसे पर्दा न कहकर जेल की दीवार कहिएगा ।।
कोई पूछे कि अब हम क्यों न होंगे ठीक तो हमको
बस उसके कान में जा इश्क़ का बीमार कहिएगा ।।
कहो मत ईद को ,क्रिसमस को ,दीवाली को ,होली को
ग़रीबी नाच उठे जिस दिन उसे त्योहार कहिएगा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति