Thursday, March 3, 2022

मुक्तक









श्याम रॅंग को रगड़-रगड़ के यूॅं गोरा कीजै ।।

बहती गंगा में हाथ धो-धो के लोरा कीजै ।।

सिलके रखते हो होंठ , मुॅंह भी बिसूरे रहते ,

वक़्त-बेवक़्त खुलके दाॅंत निपोरा कीजै ।।

-डॉ. हीरालाल प्रजापति


मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...