नज़र से गिरके उठने का किसी
का वाक़िआ बतला ।।
गड़े मुर्दे के चलने का किसी
का वाक़िआ बतला ।।1।।
ज़ुबाँ रखकर भी चुप रहते हैं
कितने ही ज़माने में ,
मुझे गूँगे के कहने का किसी
का वाक़िआ बतला ।।2।।
कि पड़कर राख़ हो जाता है सब
कुछ आग में मुझको ,
भरी बारिश में जलने का किसी
का वाक़िआ बतला ।।3।।
कई क़िस्से सुने लोगों से
तलवारों से कटने के ,
मुझे फूलों से कटने का किसी
का वाक़िआ बतला ।।4।।
तड़पकर भूख से मज्बूर हो इक शेर का कोई ,
कहीं भी घास चरने का किसी
का वाक़िआ बतला ।।5।।
( वाक़िआ = घटना , वृतांत )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति