Friday, February 22, 2013

मुक्तक : 66 - देखने में सभ्य



 देखने में सभ्य अंदर जंगली है आदमी ॥
 शेर चीते से ख़तरनाक और बली है आदमी ॥ 
जानवर प्रकृति का अपनी पूर्ण अनुपालन करें 
अपने मन मस्तिष्क के कारण छली है आदमी ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...