देखने में सभ्य अंदर जंगली है आदमी ॥
शेर चीते से ख़तरनाक और बली है आदमी ॥
जानवर प्रकृति का अपनी पूर्ण अनुपालन करें ,
अपने मन मस्तिष्क के कारण छली है आदमी ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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