Sunday, February 10, 2013

मुक्तक : 32 - शायद ही बेसबब


शायद ही बेसबब भी 
रोता हो आदमी ॥ 
घोड़े को अपने सर पर 
ढोता हो आदमी ॥ 
मिट्टी न हो तो ऐसा 
ढूँढे न मिलेगा ,
जो बीज पत्थरों पे 
बोता हो आदमी ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...