Sunday, February 10, 2013

मुक्तक : 40 - सबसे सज़्दा


सबसे सज़्दा न सरे आम करो ॥ 
ज्यादा झुक झुक के मत सलाम करो ॥ 
सर उठाकर मिलाओ हाथ अपना ,
मत खुशामदियों जैसे काम करो ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...