पूनम का चाँद तेरा चेहरा है हू-ब-हू II
फैलाए रौशनी जहँ-तहँ तेज़ सू-ब-सू II
होश अपना खोके तुझको रह जाए देखता ,
ऐ ख़ूबरू तू जिसके हो जाए रू-ब-रू II
दिखने में तो हो प्यारे मासूम औ' हसीं ,
चेहरे से दिल की लगती है पर ख़बर कभू ?
हर वक़्त तुझसे बातों की हो उसे तलब ,
हँसके तू जिससे कर ले इक बार गुफ़्तगू II
जो ख़ुदकुशी की ख़ातिर फंदे लिए खड़े,
उनमें जगादे फिर तू जीने की आर्ज़ू II
गुजरे जिधर-जिधर से तू तो उधर-उधर,
बिखरे गुलाब ,
संदल औ' मोगरे की बू II
लेकर चराग़ ढूँढा दुनिया में सब जगह ,
आशिक़ मिले तेरे सब इक भी नहीं अदू II
रह में तेरी बिछे हैं दिल , जाँ क़दम-क़दम,
पाया न भीख में भी इक हमने ही कभू II
(अदू = शत्रु )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
2 comments:
बहुत खूब!
धन्यवाद ! Brijesh Singh जी !
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