Sunday, February 10, 2013

मुक्तक : 35 - हंस सभी मैं कौआ जैसा



हंस सभी मैं कौआ जैसा ॥ 
सब सुंदर मैं हौआ जैसा ॥ 
अपने यारों में लगता हूँ ,
सब बोतल मैं पौआ जैसा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...