Saturday, February 2, 2013

*मुक्त-मुक्तक : 19 - कंघी कर कर


( चित्र Google Search से साभार )

कंघी कर कर ज़ुल्फों वाला गंजा हो बैठा ।।
तक तक चम चम आँखों वाला अंधा हो बैठा ।। 
सूरज बनने की चाहत में खुद को आग लगा ,
बेचारा जुगनू बर्फ़ानी ठंडा हो बैठा ..
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...