Thursday, February 28, 2013

मुक्तक : 80 - क्यों बचपन में ही



क्यों बचपन में ही श्रृंगारिक प्रेमालिप्त हैं कुछ बच्चे ?
ऐसी-वैसी बातों से अंदर तक सिक्त हैं कुछ बच्चे ?
क्या माँ की ममता बापू का स्नेह उन्हें कम पड़ता है ?
जो मित्रों-सखियों की चाहत को विक्षिप्त हैं कुछ बच्चे ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

6 comments:

ठाकुर आदित्य तोमर said...

waah...ek dum nayi soch di hai..

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Aditya Tomer जी !

Pratibha Verma said...

you are right ..
आप भी पधारें
ये रिश्ते ...

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !

Unknown said...

BEHAD UMDA ; SHAANDAAR ;KHOOB SOORAT

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Harsh Tripathi जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...