Monday, February 18, 2013

मुक्तक : 58 - टीले से पत्थरों का


टीले से पत्थरों का हो गया पहाड़ सा ।।
नाजुक से पौधे से बना कँटीले झाड़ सा ।। 
जो कुछ हूँ फ़ख्र है ख़ुद अपनी वज़्ह से ही हूँ ,
अब बोनसाई हूँ या बाँस हूँ या ताड़ सा ।। 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...