रोको मत बह जाने दो।।
सब आँसू ढह जाने दो।।
अब क्या डर मरते-मरते ,
सब सच-सच कह जाने दो।।
तुम जान अपनी बचाओ हमें ,
मरने को रह जाने दो।।
मत दो दर्द निवारक अब ,
रो-रो ग़म सह जाने दो।।
छूट गया था जो कल वो ,
आज मिला गह जाने दो।।
पेण्ट-कमीज़ छुड़ा लो पर ,
चड्डी तो रह जाने दो।।
खाक हुआ सब कुछ जल भुन ,
मुझको भी दह जाने दो।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
No comments:
Post a Comment