Thursday, February 14, 2013

41. ग़ज़ल : रोको मत बह जाने दो


रोको मत बह जाने दो।। 
सब आँसू ढह जाने दो।।
अब क्या डर मरते-मरते ,
सब सच-सच कह जाने दो।।
तुम जान अपनी बचाओ हमें ,
मरने को रह जाने दो।।
मत दो दर्द निवारक अब ,
रो-रो ग़म सह जाने दो।।
छूट गया था जो कल वो ,
आज मिला गह जाने दो।।
पेण्ट-कमीज़ छुड़ा लो पर ,
चड्डी तो रह जाने दो।।
खाक हुआ सब कुछ जल भुन ,
मुझको भी दह जाने दो।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...