जो अपना था कभी वो अब है ग़ैरों का सनम कहते ॥
कलेजा मुँह को आता है दग़ाबाज़ी का ग़म कहते ॥
ज़हर पी इंतिज़ारे मर्ग में हसरत लिए तड़पूँ ,
निकलता काश उसके बाज़ुओं में अपना दम कहते ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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