Sunday, February 10, 2013

मुक्तक : 33 - जो अपना था


जो अपना था कभी वो अब है ग़ैरों का सनम कहते ॥ 
कलेजा मुँह को आता है दग़ाबाज़ी का ग़म कहते ॥ 
ज़हर पी इंतिज़ारे मर्ग में हसरत लिए तड़पूँ ,
निकलता काश उसके बाज़ुओं में अपना दम कहते ॥ 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...