Sunday, February 24, 2013

मुक्तक : 72 - चेहरा ग़मों से



चेहरा ग़मों से यूँ मेरा लगे घिरा हुआ ॥
जैसे पका पपीता फ़र्श पर गिरा हुआ ॥
मनहूसियत से , फ़िक्र से मैं सूख यों लगूँ ,
गन्ना हूँ जैसे चार बार का पिरा हुआ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...