बहुत चाहत
है वो बोलूँ , मगर जो कहना मुश्किल है ।।
है जिनसे बोलना उनका , भी उसको सुनना मुश्किल है ।।1।।
मुझे करना है इज़्हारे , तमन्ना अपने दुश्मन से ,
है जिनसे बोलना उनका , भी उसको सुनना मुश्किल है ।।1।।
मुझे करना है इज़्हारे , तमन्ना अपने दुश्मन से ,
ज़ुबाँ खुलती
नहीं और बिन , कहे भी रहना मुश्किल है ।।2।।
हैं माहिर
लोग ग़ैरों को , भी सब अपना बनाने में ,
यहाँ अपनों
को भी अपना , बनाए रखना मुश्किल है ।।3।।
कहाँ होती
हैं दुनिया में , सभी की ख़्वाहिशें पूरी ,
अधूरे ख़्वाब
ले फिर ज़िंदगी जी सकना मुश्किल है ।।4।।
न कर नाहक़
लतीफ़ागोई मैं ग़मगीन हूँ इतना ,
हँसी की बात
पर भी आज मेरा हँसना मुश्किल है ।।5।।
करो करते रहो
मुझ पर , जफ़ा जी भर इजाज़त है ,
सितम तो जब
कोई अपना , करे तब सहना मुश्किल है ।।6।।
चपत दिखलाएगा
दुश्मन , तो मैं तो लात जड़ दूँगा ,
मेरा इस दौर
में गाँधी , सरीखा बनना मुश्किल है ।।7।।
बहुत आसान
है देना , सलाहें वो भी बिन माँगे ,
मगर हालात
के मारों , का उन पर चलना मुश्किल है ।।8।।
अगर जाना है
रेगिस्तान फ़ौरन ऊँट बन जाओ ,
वहाँ मेंढक
या मछली का , क़दम भर चलना मुश्किल है ।।9।।
( लतीफ़ागोई = चुटकुला सुनाना )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
3 comments:
apki her rachna dil ko cho jati hai..............yah rachna bhut hi pasnd aai....
.badhi
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