Thursday, March 28, 2013

प्रतीक्षा गीत : 2 - कभी डाकिया...................


कभी डाकिया जो मेरी  बनकर हवा चले ॥
तभी हाले दिल मेरा भी उनको पता चले ॥
कभी डाकिया.....................................
उनकी निगाह में यों देखा है सब मगर ,
मेरा ही ख़्वाब अब तक आया नहीं नज़र ,
कब आएगा वो जाने मेरी नज़र तले ॥
कभी डाकिया.....................................
तभी हाले दिल मेरा भी उनको पता चले ॥
मेरे ही आग अकेले दिल में लगी यहाँ ,
आँच अब तलक तो इसकी पहुँची नहीं वहाँ ,
मुझे इंतज़ार है कब वाँ पे शमा जले ॥
कभी डाकिया.....................................
तभी हाले दिल उन्हें भी मेरा पता चले ॥
मशरूफ़ियत में सब के जैसे बिताऊँ मैं ,
फ़ुरसत के पल मगर ये कैसे बिताऊँ मैं ,
दिन गर गुज़ार लूँ पर फिर शाम ना ढले ॥
कभी डाकिया.....................................
तभी हाले दिल मेरा भी उनको पता चले ॥
घुटता रहूँ मैं यूँ ही दिल की नक़ाब में ,
ऐसा न हो कहीं बस ख़्वाबों ही ख़्वाब में ,
ये सिलसिला मिलन का चलता चला चले ॥
कभी डाकिया.....................................
तभी हाले दिल मेरा भी उनको पता चले ॥
कभी डाकिया जो................................
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

shishirkumar said...

Bahut sundar geet hai. Dr sahab namaskar

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! shishirkumar जी !

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