Tuesday, March 12, 2013

मुक्तक : 106 - शराबें चूमता


शराबें चूमता फिरता जहर को चाटता होता ।।
पटक सर अपना दीवारों पे ख़ुद को मारता होता ।।
चले जाने के तेरे बाद ख़ुश हरगिज़ नहीं रहता ,
अगर तुझको हक़ीक़त में वो बंदा चाहता होता ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...