कर लूँगा हँस के तै मैं हर
तरह के रास्ते ।।
मैं सोचता था जबकि तुम थे
मेरे वास्ते ।।
अब जब अज़ीज़ो ख़ास रहा मैं न तुम्हारा ,
दो डग भी मुझको दो हज़ार मील भासते ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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