Thursday, March 28, 2013

80 : ग़ज़ल - वहाँ के धुप्प अँधेरों में



वहाँ के धुप्प अँधेरों में , भी बिजली सा उजाला है ।। 
यहाँ सूरज चमकते हैं , मगर हर सिम्त काला है ।।1।।
 
जो पाले हैं चनों ने वो , हिरन ,खरगोश ,घोड़े हैं ,
ये कछुए , केंचुए हैं जिनको बादामों ने पाला है ।।2।।
 
यहाँ हर एक औरत सिर्फ़ औरत है जनाना है ,
वहाँ दादी है ,चाची है कोई अम्मा है
ख़ाला है ।।3।।

वहाँ स्कूल ,कॉलिज ,अस्पताल और धर्मशाले हैं ,
यहाँ पग-पग पे मस्जिद ,चर्चगुरुद्वाराशिवाला है ।।4।।
 
वहाँ हर हाल में हर काम होता वक़्त पर पूरा ,
यहाँ सबने सभी का काम कल परसों पे टाला है ।।5।।

- डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...