Wednesday, March 20, 2013

मुक्तक : 123 - इस तरह मेरी


इस तरह मेरी न कर खुल के तरफ़दारी तू ॥
हूँ गुनहगार तो कर बढ़के गिरफ़्तारी तू ॥
तेरी ईमानदारियों पे ही तो क़ुर्बाँ हूँ ,
फ़र्ज़ की राह पे क़ुर्बान कर दे यारी तू ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

1 comment:

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर ...

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...