Friday, March 22, 2013

मुक्तक : 125 - तस्वीर पे न जाना



तस्वीर पे न जाना तस्वीर सच न बोले ॥
खूँख़्वार दरिंदे भी लगते हैं इसमें भोले ॥
इंसान से मिलकर भी अब कुछ पता न चलता ,
ओढ़े हैं उसने कितने चेहरे पे अपने चोले ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

3 comments:

Unknown said...

सच कहा! बहुत सुन्दर!

Pratibha Verma said...


बहुत सुन्दर ...
पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...