Sunday, March 10, 2013

मुक्तक : 95 - हर वक़्त अपने



हर वक़्त अपने साथ रखूँगा शराब को ।।
चूमूँगा-सूँघूँगा.......न चखूँगा शराब को ।।
पी-पी के ख़ुद ही अपना जिगर फूँका है मैंने ,
मैं हूँ ग़लत...ग़लत न कहूँगा शराब को ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...