इश्क़ करता हूँ मैं , प्यार करता हूँ मैं ॥
उनसे कैसे कहूँ उनपे मरता
हूँ मैं ?
इश्क़ करता......................................
खिलते चेहरे से कुछ भी पता
न चले ,
दर्दे दिल कोई कैसे मेरा
जानले ?
अपने यारों से भी कुछ न कहता
हूँ मैं ॥
उनसे कैसे कहूँ उनपे मरता
हूँ मैं ?
मेरी तन्हाइयों में गुजर
देखिये ,
इश्क़ का मुझपे तारी असर देखिये
,
आतिशे हिज़्र में धू धू जलता
हूँ मैं ॥
उनसे कैसे कहूँ उनपे मरता
हूँ मैं ?
मेरे दिल की उन्हें कैसे
होगी ख़बर ,
मेरा क़ासिद यहाँ कोई होता
अगर ,
प्यार की चिट्ठियाँ रोज़ लिखता
हूँ मैं ॥
उनसे कैसे कहूँ उनपे मरता
हूँ मैं ?
इश्क़ करता हूँ मैं , प्यार करता हूँ मैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
1 comment:
क्या बात है सर
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