धूप से तो कभी लोहा गलता
नहीं ।।
ग्लेशियर सर्दियों में पिघलता नहीं ।।
वो यक़ीनन बुरी तरह बेहोश
था ,
उठके मुर्दा ज़मीं पर टहलता
नहीं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-02-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
आभार
धन्यवाद ! दिलबाग विर्क जी !
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