Sunday, March 10, 2013

मुक्तक : 98 - घर खुला रखना है


घर खुला रखना है चोरों से बचाना भी !!
छेद गुब्बारों में करके फिर फुलाना भी !!
ये अजब तूने सुनाया हुक़्म ऐ अहमक़ ,
हकलों को गाना है बहरों को सुनाना भी !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...