जो तेरा हुस्ने सरापा न आँखें
खींच सका ।।
शर्बते इश्क़ उसका ख़ुश्क दिल
न सींच सका ।।
तो ख़ता इसमें तेरी क्या जो
वो तुझे न कभी ,
सख़्त तनहाई-ओ-ख़िल्वत में
भी न भींच सका ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
वाह क्या बात है! बहुत खूब!
धन्यवाद ! Brijesh Singh जी !
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