Tuesday, March 12, 2013

मुक्तक : 107 - कम बहुत ही



कम बहुत ही कम दिखें पर्दानशीं ।।
करते हैं अपनी नुमाइश अब हसीं ।।
कैट-वाकिंग जब वो गलियों में करें ,
मनचलों के दिल की हिल उठती ज़मीं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...